विधा- दोहे मुक्तक
*मेरे जीवन के लिए*,तुम "श्रेयश" सौगात ।
तुम्हें देख मन हो मुदित , झूमे पुलकित गात ।।
मात शारदे का रहे ,,तुम पर आशीर्वाद ।
मानव मूल्यों की सजे , मानस में बारात ।।
मानवता को तू करे , प्रतिपल आत्मासात ।।
बेटा तुझको तो रखे , ईश्वर ,आयुष्मान ।
मुखड़ा भी तेरा रहे , सदा दैदीप्यमान ।।
नहीं अवज्ञा हो कभी , दिल सबके लो जीत ।
आलोकित सब पथ रहें, मिले जगत में मान ।।
चाहत दिल में एक ही, नव गढ़ो कीर्तिमान ।
सेवा कर मात पितु का , लाना मुख मुस्कान ।।
लड़ना वंचित के लिए, मिले उन्हें अधिकार ।।
नाज करें तुम पर सभी, बढ़े हमारा शान ।।
उषा झा देहरादून
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