Thursday 9 January 2020

प्रीत की बात

विथा :- विमोहा छंद
212   212
प्रीत की रात है ।
राज की बात है ।।
तप्त ये गात है ।
 नेह सौगात है ।।

प्रेम तो खास है ।
नैन में प्यास है   ।।
कंत  भी पास है ।
ईश की आस है ।।

जीत संसार लो  ।
लक्ष्य को साध लो ।।
प्रीत को घोल लो ।
धीर को तोल लो ।।

दीप तो नेह के  ।
ज्योत है प्रेम के ।।
 गीत संगीत है   ।
 श्याम ही मीत है ।।

प्रीति को वार दो ।
रीति संवार दो  ।
मान सम्मान हो ।
फर्ज का भान हो ।।

संग तेरा रहे ।
नेह धारा बहे ।।
 सात फेरे कहे ।
मान रिश्ते रहे ।।

  प्रेम के मोल से ।
  मीत *दो बोल* से ।।
  मोद घोले हिया ।
   प्रेम  भाये जिया ।।

  प्रो उषा झा रेणु 
स्वरचित देहरादून 







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