Tuesday 10 October 2017

प्रवाह

सुंदर जीवन बहती दरिया
नित्य नए गंतव्य की ओर
पाने को मंजिलें, रूके नहीं
खुशियों से करें प्रवाहित निरंतर ..
जीवन पथ हो कितने ही दुर्गम
सूझ बूझ से हो जाते हैं सुगम ..
गर कहीं ठहर गई हो जिन्दगी
तो रूके जल जैसे भर जाए गंदगी..
रूके जल में मछलियाँ भी 'जी'
कहाँ पाती ?
वैसे ही मन के भीतर निराशा की
'बास'आ जाती ..
रूकावट न आए जीवन गति में
बना रहे प्रवाह जीवन धारा में,
हो हमारी ऐसी ही कोशिशें..
सकारात्मक सोच से ही मिलती
है खुशियाँ ..
नकारात्मकता से बना लें खुद
से दुरियाँ ..
 गर इरादों में हो बुलंदियाँ
तो रोक न सकेगी दुश्वारियाँ ..
जीवन के मधुर पल रखें संभाल कर
ये जीवन न मिलती फिर से दुबारा ..

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