Thursday 5 October 2017

पूर्णिमा में चाँद

पूर्णिमा में चाँदनी
दूध में आती नहाकर
निर्मल सौम्य रूप
सौंदर्य की अनुपम
भेंट चाँद ले आता 
 जाने कहाँ से ..
मन को लुभा कर
कर देता बिभोर ..
चकोर होके मदहोश
हटती न उसकी नजर
बैरी सजन चाँद पर से...
निर्दयी बादलें जब छुपा लेती
चाँद को अपने आगोश में
कलेजे में एक हूक सी उठती
 विरहन देख तिमिर
 रह जाते मनमसोश कर ...
चाँदनी को साथ लिए
ज्यूँ ही प्रगट होते चाँद
बादलों को चीरकर ..
चाँदनी के शीतलता में नहा
धरती गगन सब झूम उठता
पेड़ पौधों के झूरमूटों से
चाँदनी धरा पे जब फैलती
 बन जाता दिव्य दृश्य ..
पूर्णिमा में चाँद का रूप होता
सचमुच अद्भुत ..

 
 

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