Monday 30 October 2017

दस्तक

आज फिर से तेरी
यादों ने दिल पर
 दस्तक दे दिया ..

तन्हाईयों में भी 
मिलन का मंजर
दिखा दिया ..

अपनी बैचेनिंयों का
तुम तक पैगाम
पहुँचा दिया ..

विरानगी में भी
यादों का खंजर
सीने पे चला दिया

सुने दिन सुनी शामें
 इंतज़ार में बिन तेरे
शमां बुझा दिया ..

तुम्हें फुर्सत नहीं
मेरे हालात जानने की
तेरी बेरूखी ने मेरे
गम बढ़ा दिया ..

तुम्हारे आने के आहट से
कोलाहल मन में मेरे
मुझे बेसब्र कर दिया ..

पलकें दरवाजे पे टिकी
हृदय में बजती तारें
धड़कन बढ़ा दिया ...

 

 

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