Saturday 14 October 2017

लक्ष्य

रौशनी की चकाचौंध में
 रास्ते बहक न जाए
 अंधेरों की ओर ..
पाने को उजाला
हमेशा याद रखें
 रातें अंधियारी  ..
रोशनी को  देख
कईयों की आँखें
चौंधियाने लगता ..
होके मदहोश कदम
डगमगा जाता
पड़ता न पग जमीं पर ..
संतुलन के मापदंड
जो बैठा ले मन में..
ऊँचाइयों को देख
कभी उड़े न वो हवा में ..
मन एक चंचल पंछी
जरा सा भी ढील पाकर
ऐंवें ही भटकती फिरती..
हो सामने बड़ा लक्ष्य
तो करनी ही पड़ती
कठिन तपस्या ..

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