रवि लालिमा बिखेर
ज्योहि हुए प्रगट
छठ व्रत करने वाली
हुई हर्षित
दिया सूर्य को अर्घ
कर जोड़ सबने
की विनती
हे भास्कर करना
सबका कल्याण ..
और अपने भी
सुख शांति का
मांगा वरदान ..
प्रसाद खिलाकर
हुआ खत्म छठ व्रत ..
हर्ष उल्लास के साथ
सादगी से हुआ अंत
छठ महा पर्व ..
आस्था का पावन
तीर्थ हमारा मन
गर हो विश्वास
पत्थर पूज कर
देव को पा जाते
विश्वास ही संस्कृति
को जोड़ कर रखती ..
संस्कृति की जड़ें हो
मजबूत और गहरी
रखें संभाल सब
अमूल्य धरोहर ..
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