Friday 27 October 2017

आस्था

रवि लालिमा बिखेर
ज्योहि हुए प्रगट
छठ व्रत करने वाली
हुई हर्षित
दिया सूर्य को अर्घ
कर जोड़ सबने
की विनती
हे भास्कर करना
सबका कल्याण ..
और अपने भी
सुख शांति का
मांगा वरदान ..
प्रसाद खिलाकर
हुआ खत्म छठ व्रत ..
हर्ष उल्लास के साथ
सादगी से हुआ अंत
छठ महा पर्व ..
आस्था का पावन
तीर्थ हमारा मन
गर हो विश्वास
पत्थर पूज कर
देव को पा जाते
विश्वास ही संस्कृति
को जोड़ कर रखती  ..
संस्कृति की जड़ें हो
मजबूत और गहरी
रखें  संभाल सब
अमूल्य धरोहर ..

No comments:

Post a Comment