Tuesday 31 October 2017

चलो गुमनाम हो जाएँ

खुद की शख्सियत को भुलाए
 शिकवे ना शिकायत किसी से
न डर जमाने की बंदिशों से
सब में अपनी पहचान मिटाएँ
चलो गुमनाम हो जाएँ ..

हम वो करें जो जी में आएँ
न कोई पर्दा किसी से
न ही कोई डर किसी से
आजादी का जश्न मनाएँ
चलो गुमनाम हो जाएँ ..

मुखौटे झूठ के बेनकाब हो जाएँ
फितरतबाज फरेबी रिश्ते से
रूह को झूठ के छलावे से
 हम सबको मुक्ति मिल जाएँ ..
  चलो गुमनाम हो जाएँ ..

मद और अभिमान का चिता जलाएँ
किसी के गम और परेशानियों से
  किसी के दम तोड़ती अरमानों से
  हम सब आशाओं के दीप जलाएँ
  चलो गुमनाम हो जाएँ ...

आओ नेह और स्नेह का पौध लगाएँ
  किसी के उजड़े घरौंदो से
   भूखे प्यासे फकीरी से
  आँसू पोछ मददगार बन जाएँ
ऐसा नेक काम कर मशहूर बन जाएँ
चलो गुमनाम हो जाएँ ..

 

 

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