निः शब्द निशा
शुकुन भरा पल
लेके आयी
देके जाएगी
ढेरों ऊर्जा
कल के सुबह के लिए ..
टिमटिम तारों के
साथ चंदा से
देखो दो पल
मिलने आई
पल में ही बिछुड़ के
चली जाएगी ..
नेह भरे कुछ
पल देके नीरव निशा
निश्क्रंदन कर
आती मिलन की
आस लिए अपने
प्रियतम चंदा से ..
सुहानी मनमोहनी
मधुर यामिनी
शुकुन के चंद
लम्हें लेके ..
देती मिटके भी
कई खुशियाँ ..
मिलन की वो
सुनहरी रातें
पल में ही जुदा
हो कर बनके
रह जाती यादें
ऐसे ही मानव
के संग जीवन
पल में ही छुटके
बन जाती एक
फसाना ..
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