दूर से देखो तो सब
बहुत सुहाना लगता
असलियत की पहचान
तो पास जाने पे ही होता
परत दर परत हर एक रिश्ते
की पोल खुल ही जाती
सतही रिश्ते बेमानी लगते ..
दूर से सारी रिश्ते दारियाँ
बखूबी निभाया जाता
रिश्ते भी बड़े मीठे मीठे लगते
स्नेह और सम्मान भी खूब
एक दूसरे पर लुटाया जाता ...
रिश्ते कागज के फूल के
जैसे बिना खुशबू के होता
जब स्वार्थ की बू आ जाती
छल प्रपंच आ जाने से रिश्ते
दम तोड़ ही देती ..
नजदीक जाओ तो वो गर्मजोशी
ही खत्म हो जाती रिश्ते की
दूर का ठोल सुहावन लगता
ठीक ही बनाया किसीने ये कहावत ..
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